आजकल दुनिया में प्रदुषण की मात्रा बहुत तेजी से बढ़ती चली जा रही है, ज्यादातर शहरों में बढ़ रही है | प्रदुषण प्रकृति, मनुष्यों, और जीव – जन्तुओ के लिए बहुत हानिकारक है जितना विकास विज्ञान और औधोगिकी ने किया है उससे कई ज्यादा गहरा प्रभाव प्रकृति एवं पर्यावरण पर पड़ा है | आजकल शहरों को उन्नत एवं शक्तिशाली बनाने के लिए अधिक मात्रा में पेड़ो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है | मनुष्य इस सुन्दर प्रकृति को कई वर्षो से नुकसान पहुंचा रहे है, क्योंकि अपनी ही तरक्की एवं कामयाबी पाने के लिए अपनी ही प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे है| दुनिया में बढ़ते प्रदुषण का कारण स्वयं मनुष्य जाति जिम्मेदार है| मनुष्य अपने स्वार्थ, विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का गलत प्रयोग किया है और आज भी कर रहा है, क्योंकि मनुष्य अपने मुनाफा के लिए पेड़ काट कर कागज, फर्नीचर कलाकृतियाँ, भवन इत्यादि बनाने एवं पैसो की लालच में आ कर अंधाधुंध पेड़ो की कटाई कर रहे है | जिससे अधिक मात्रा में जंगलो में रहने वाले जीव – जंतु लुप्त हो गये है | पेड़ो की अंधाधुंध कटाई करने के कारण ऑक्सीजन के कमी होने के कारण मनुष्य, जीव – जंतु मर रहे है| जिसके कारण मनुष्य, जीव – जंतुओ को अशुध्द ऑक्सीजन का सामना करना पड़ रहा है प्रदुषण का मुख्य कारण शहरीकरण हैं | क्योंकि मानव ने शहर बनाने में ज्यदा ध्यान दिया है औधोगिकिकरण के कारण जल, वायु, मिट्टी प्रदूषित होने लगे है | मनुष्य कृषियोग खेत को पैसे की लालच एवं अपने आप को बड़े (अमीर) दिखलाने के लिए बड़ी – बड़ी ईमारते , शॉपिंग मौल इत्यादि बना रहे हैं | जिसके कारण हमारे वातावरण में काफी नुकसान पहुंच रहा है| हाँ, मैं मानता हूं की विज्ञान तथा औधोगीकिकरण में विकास पहले से ज्यादा हुआ है लेकिन देश में इतना ज्यदा रेडिएशन हो गया है की आज कल पेड़ पौधे एवं घर आंगन में तरह – तरह की पंक्षियां चहकती थी लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पंक्षियों को लुप्त कर दिया है जैसे की गौरया, नीलकंठ, पंडुक, तोता, बगुला, मैना, इत्यादि तथा कई प्रजातीया लुप्त हो चुकी है| औधोगीकिकरण में विकास हुआ है बेरोजगारों को बड़े पैमाने पर रोजगार भी मिले हैं | और पहले के मुकबला मशीनो से ज्यादा वस्तुए उत्पाद हो रहे है, लेकिन उसका क्या जो बड़ी – बड़ी कलकारखाने, फैक्ट्रीयों से निकलने वाली रासायनिक पदार्थ जो की सीधे नदियों में प्रवाह कर देते है तथा चिमनी से निकलने वाले काले धुँआ ओजोन परत को काफी नुकसान पहुंचा रहा है तथा हवा में मिलकर ऑक्सीजन को प्रदूषित कर देते है जिससे प्रदूषित हवा के कारण अधिक्तर लोग जब भी घर से बाहर निकलते है मास्क पहन कर निकलते है ऐसे विकास से क्या फ़ायदा को हमारे सुन्दर प्रकृति को नुकसान पहुंचाए | ऐसा विकास हमे कभी नही करना चाहिए जो हमारे प्राकृति को नुकसान पहुंचाए |
प्रदुषण किसे कहते है |
➣ जल, थल, एवं वायु में कुछ रासायनिक तथा भौतिक परिवर्तनों के कारण पर्यावरण में रहने वाले जीव-जंतु एवं सभी जीवधारियां को जो हानिकारक होती है,उसें प्रदुषण कहते है
प्रदुषण को कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, 1. वायु प्रदुषण, 2. भू – प्रदुषण, 3. जल प्रदुषण, 4. ध्वनि प्रदुषण आदि | प्रदुषण की दर मनुष्य के अधिक पैसे कमाने के स्वार्थ और कुछ अनावश्यक इक्छाओ को पुरा करने की वजह से बढ़ रही है
- वायु प्रदुषण
वायु प्रदुषण में किसी भी भौतिक, रासायनिक या जैविक परिवर्तन के संदर्भित करता है इसका हानिकारक गैसों, धूल और धुँए आदि के कारण हवा के संदूषण से होता है जो की पौधे, जानवरों, और मनुष्य को प्रभावित करतें है| कोयला जैसे ईंधन के दहन से सल्फर डाईऑक्साइड उत्पन्न होती है जो की पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक होते है | हमें रोज दिन – प्रतिदिन TV तथा अख़बारों में देखने को मिलता है की किसी न किसी की वायु प्रदुषण के कारण मृत्यु हो गई है अकसर ऐसे समाचार प्रतिदिन आते रहते है | और दूषित हवा के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत तो हो ही रही है साथ में लोगो को दूषित हवा के कारण गंभीर बीमारियां भी हो रही है | भारत यानि की हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या के कारण लोगों की जरूरते भी बड़ ही हैं अपनी जरूरते को पूरा करने के लिए भरी मात्रा में जंगलो को कटा जा रहा है | हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण करने में लगे चुकें है जहाँ जंगल कम हो रही हैं पर इमारते ज्यादा बन रहे है, जहाँ ताज़ी एवं शुध्द हवा मिलता था अब वह काले धुवाँ मिल रहे हैं

वायु प्रदुषण का कारण
भारत में बढ़ती जनसंख्या के साथ – साथ हमारी जरूरते भी बढ़ रही है अगर देखा जाये तो 100% प्रतिशत में से 90% प्रतिशत लोगों के पास निजी वहान हैं जिसके कारण जनसंख्या बढ़ रही है तो इधर निजी वाहने भी बढ़ रही हैं जो की काफी मात्रा में वाहनों से दूषित धुवाँ निकलते रहते हैं | तथा वाहनों से निकलने वाली दूषित धुवाँ हवा में मिलकर हमारे पुरे पर्यावरण को दूषित कर देता है यही कारण है की आज – कल लोग घर से बाहर निकलने से पहले दस बार सोंचते है की निकालु की नही, फिर भी घर से बाहर निकलते हैं तो आप उनको देखियेगा की माक्स तथा अपने पुरे शरीर को ढककर निकलते है ताकि दूषित हवा के कारण उनका स्कीन ख़राब न हो और वे गंभीर बीमारियों से बच सकें और कोई उनको बीमारी न हो | भारत में बहुत ज्यादा उधोग तथा पवार पलांट हैं जहाँ से दूषित धुआँ निकालता हैं और यह दूषित धुआँ पर्यावरण में मिलकर हवा को प्रदूषित कर देता है तथा चिमनी से निकले वाली काले काले धुआँ पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाती है | जितने भी कलकारखाने तथा फैक्ट्रीयां हैं जिससे चिमनी से लगातार निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड एवं रासायानिक धुएं का उत्सर्जन होता हैं तथा ओज़ोन परत को भी बेहद नुकसान होता है |
वायु प्रदुषण का निवारण
1.सबसे पहले बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए | हम दो, हमारे दो ( इंदिरा गाँधी ) का नारा का पालन करेंगे |
2. निजी वाहनों का प्रयोग न करके सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करेंगे |
3. जिनी वाहनों का प्रयोग न करके कही मार्केट, ऑफीस इत्यादि जगहों पर जाने के लिए हम साईकल का उपयोग करेंगे इससे हमारा पर्यावरण को नुकसान भी नही पहुँचेगा तथा साईकल चलाने से कोई प्रदुषण भी उत्पन्न नही होती है और साईकल चलाने से हमारा शरीर भी स्वस्थ रहता हैं |
4. हमारे देश में जो बिजली होती है उस बिजली को उत्पन्न करने के लिए जीवाश्म ईंधन का प्रयोग होता है | तथा बिजली उत्पन्न करने में जो धुवाँ निकालता हैं वह हमारे पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाख होता है | ऐसे प्रदुषण को दूर करने या अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए हम बिजली का प्रयोग न कर के हम अपने घर, ऑफीस,दुकान,मौल इत्यादि में सौर – उर्जा का प्रयोग करेंगे | इससे हमारे वातावरण को कोई नुकसान भी नही पहुँचेगा | और हमारा पैसा भी बचेगा |
5. पेट्रोल तथा डीजल वाहनों से जो धुवाँ निकलता हैं वह हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक होता हैं,तो हम पेट्रोल तथा डीजल वाहनों का उपयोग न कर के , सौर उर्जा पर चलने वाली वाहनों का प्रयोग कर सकते है यह हमारे पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद होगा |
6. अगर आप अपने निजी वाहन जहाँ जा रहे हैं और दूसरा व्यक्ति भी वही पर जा रहा है जहाँ पर आप जा रहे है लेकिन वह व्यक्ति भी अपना निजी वाहन का प्रयोग करना चाहता है, तो उसे हमें रोकना चाहिए | और उसे हमे अपने वाहन में बैठा लेना चाहिए इससे निजी वाहनों की संख्या कम होगी वाहनों से निकलने वाली प्रदूषित धुवाँ भी कम होगी | तथा इससे हम पर्यावरण में बढ़ती वायु प्रदुषण को कुछ कम कर सकते है |
7. हमारे बगीचे में जो सूखे पत्तियाँ जो गिरे हुए रहते हैं उन्हें यदि हम जलाते है तो धुवाँ उत्पन्न होगा | जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचेगा | इसलिए हम पत्तियों को जलाने के वजाए खाद बना कर हम कृषि में उपयोग कर सकते हैं और पर्यावरण को नुकसान भी नही पहुँचेगा |
8. वायु प्रदुषण एक गंभीर समस्या बन गई है | आज साफ एवं शुध्द हवा लेना भी ख़्वाब बनता जा रहा है | यदि आप ऊपर बताए गए सभी नियमो को पालन करते हैं | तो हम सब मिलकर अपने प्यारे देश भारत को बढ़ती वायु प्रदुषण से रोक सकते हैं |
2.भू – प्रदुषण का कारण
बड़े पैमाने पर औधोगिकरण एवं नगरीकरण ने नगरो में बढ़ती जनसंख्या तथा निकलने वाले द्रव एवं ठोस अवशिस्ट पदार्थ मिट्टी को प्रदूषित करने के कारण आज भूमि में प्रदुषण अधिक मात्रा में फैल रही है | कृषि में जो कीटनाशक दावा या ऐसे रासायनिक पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है जो की बेहद खतरनाख है जो हमारे मिट्टी की उपज क्षमता में बहुत बुरा असर पड़ता है | बड़े पैमाने पर औधोगिकरण एवं नगरीकारण ने शहरों से निकलने वाली अवशिस्ट पदार्थ जैसे – राख, काँच, फल तथा सब्जीयों के छिलके, कपड़े, प्लास्टिक के थैला , चमड़ा, चमड़ा से बनाने वाली वास्तुवे ( बेल्ट, चूता,पर्स, जैकेट, आदि ), ईंट, मवेशी गृह का कचरा , गोबर इत्यादि सम्मिलित है | यह जब मृदा में मिलते है तो मृदा को गंभीर रूप से प्रदूषित कर देते हैं |

भू – प्रदुषण का निवारण
1. कृषि में जो कीटनाशक दावा या रासायनिक पदार्थ का उपयोग किया जाता हैं उस पर प्रतिबंध लगाकर | ताकि हमारे मृदा की उपज बना रहे |
2. जो हमारे बगीचे में सूखे पत्तियों गिरता हैं उसे हम जलाने के वजाए उसको खाद बना कर कृषि में कीटनाशक दावा के रूप में उपयोग करेंगे |
3.हमारे गाँव एवं शहरों में जो कूड़ा – कचरा होते है उसे एक जगह एकत्रित कर के फ़िर से recycle कर के फिर से उसे हम अपने उपयोग में ला सकते हैं
4.जंगलो की अंधाधुंध कटाई पर प्रतिबंध लगा कर |
3.जल प्रदुषण का कारण
जल प्रदुषण के कारण अनेको प्रकार की बीमारिया उतपन्न हो रही है एवं जल प्रदुषण के कारण ज्यादातर लोगों की मृत्यु भी हो रही हैं जल प्रदुषण के बढ़ाते स्तर का कारण औधोगिक कूड़ा – कचरा हैं हमारे देश में सामाजिक और धार्मिक रीति – रिवाज जैसे नदियों – नहरों, में शव को बहाना, मूर्ति विश्र्जन करना, नहाना, कचरा फेंकना, कपड़ा फेक देना मंदिर/मस्जिद से निकलने वाली फूल को फेकना, फैक्ट्रियों से निकलने वाली रासायनिक पदार्थ सीधे नदियों में बहा देना है और एडिसन वर्षा, ग्लोबल वार्मिंग से , जिसके कारण काफी मात्रा में जल प्रदूषित होता हैं | जब नदियाँ, तथा समुंद्र प्रदूषित होता है तो उसमे रहने वाले जीव पर बुरा असर पड़ता हैं | गंगा एवं यमुना भारत की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है | एक अनुमान के मुताबिक एक लाख से ज्यादा वाले शहरों में 16,662 मिलियन लीटर ख़राब पानी एक दिन में निकलता है चौकाने वाली यह बात है की इन शहरों के 70% प्रतिशत लोगों को सीवेज की सुविधा मिली हुई है गंगा नदी के किनारों पर बसे शहरों और कस्बों में देश का लगभग 33% प्रतिशत ख़राब पानी पैदा होता है |

जल प्रदुषण का निवारण
जल प्रदुषण का सबसे अच्छा समाधान मिट्टी संरक्षण हैं | मिट्टी के कटाव के कारण से भी जल प्रदूषित होता हैं | ऐसे में मिट्टी का संरक्षण होता हैं | तो हम कुछ हद तक जल प्रदुषण रोक सकते हैं हम ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाकर मिट्टी के कटाव को रोंक सकते हैं | जहाज, कार या अन्य मशीनों से निकलने वालें तेल के रिसाव भी जल प्रदुषण के प्रमुख करक में से एक हैं शहरो तथा गाँव में निरंतर रूप से नालों की सफाई करनी चाहिए | ग्रामीण इलाको में जल निकास हेतु पक्की नालियों की व्यवस्ता नही होते हैं जिसके कारण इसका पानी कहीं भी इधर उधर जल स्रोतों तक पहुँच जाता हैं इसलिए हम अच्छे तरीके एवं मजबूत नालियां बनायेंगे | शव को नदी में फेकने के वजाए हमें उसे मिट्टी में दफन कर देना चाहिए | फूलो को फेकने के वजाए हम उससे अगरबत्ती,धुप बनायेंगे | फैक्ट्रियों से निकालने वाली रासायनिक द्रव पदार्थ पर प्रतिबंध लगा कर | प्लास्टिक या काँच जो जैविक तौर पर नष्ट न होने वाले पदार्थो का उपयोग न करें | कार या अन्य मशीनों से होने वाले तेल रिसाव पर ध्यान देना बेहद जरुरी हैं |
4.ध्वनि प्रदुषण का कारण
ध्वनि प्रदुषण किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव-जन्तुओं को परेशानी होती है। यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर ध्वनी प्रदुषण ही है | बढ़ता शहरीकरण में परिवहन, रेल, हवाई जहाज से निकले वाली साउंड व खनन के कारण शोर की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही हैं |
विवाह, जन्मदिन, धार्मिंक आयोजनों, मेलों, पार्टियों में लाऊड स्पीकर का प्रयोग तथा डीजे (DJ) को बजाने से ध्वनि प्रदुषण का मुख्य कारण हैं

ध्वनि प्रदुषण का निवारण
1. विभिन्न क्षेत्रो में सड़को के किनारे हरे वृक्ष की कतार लगा कर ध्वनि प्रदुषण को बचाया जा सकता हैं क्योंकि हरे पौधे ध्वनि की तीब्रता को 10 से 15 डी वी तक कम कर सकता हैं |
2. मशीनों के साथ कम करने वाले व्यक्तियों को ध्वनि अवशोषक वस्त्रो को देना चाहिए
3. प्रेशर हॉर्न बंद की जाये |
4. इंजन व मशीनों की समय – समय पर मरम्मत हो , ताकि मशीनों से ज्यादा आवाज न निकले |
5. डीजे (DJ) को लाऊड स्पीकर बजाने पर प्रतिबंध लगा कर,साथ में जुर्मना भी लगा कर |
6. क़ानूनी प्राविधानो के मुताबिक रात 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक लाऊड स्पीकर का प्रोयोग वर्जित है | लेकिन लोग बजा रहे है, मंदिर / मस्जिद में देख लीजिये सुबह 3 बजे से ही शुरू हों जाते है | जिसे नमाज पढ़ना या पूजा भक्ति करनी होगी उसें लाऊड स्पीकर पर चिल्लकर कहना जरुरी है, लोगों को सुनाना जरुरी की मैं पूजा कर रहा हु या नमाज पढ़ रहा हु | ऐसे कारनामे का विरोध करना चाहिए | नमाज पढ़ो / पूजा भक्ति करो लेकिन पर्यावरण को कोई नुकसान मत पहुँचाओ
7. कृप्या ऐसा काम न करे जिससे हमारे सुन्दर प्राकृतिक को कोई नुकसान पहुंचे |
NOTE :
अगर आपको को इस blog से कुछ सिख मिला हो, तो आप अपने जीवन में ऊपर दिए गए सभी नियमो का प्रयोग/ पालन करे | अभी भी समय है आप और मैं इस सुनदर प्रकृति को प्रदुषण मुक्त बनाते सकते है
जय हिन्द !